
Pujya Swamiji and Sadhviji Grace Special Ganga Aarti in New Kolkata
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में एल्कोव, न्यू कोलकाता में दिव्य व भव्य गंगा आरती का आयोजन किया गया जिसमें हजारों-हजारों की संख्या में जनसमुदाय ने सहभाग किया।
न्यू कोलकाता में विगत वर्ष गंगा जी की आरती में सहभाग करने वाले श्रद्धालुओं में अद्भुत उल्लास व उमंग था परन्तु इस वर्ष तो अपार संख्या में जनसमुदाय ने सहभाग कर विश्व शान्ति हवन में आहुतियाँ प्रदान कर सत्संग का लाभ लिया। अब तो न्यू कोलकाता की यह दिव्य गंगा आरती स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से प्रतिदिन हो रही है। स्वामी जी के आशीर्वाद व मार्गदर्शन में नदियों के तटों पर आरती न केवल भारत बल्कि विश्व के अनेक देशों में भी हो रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोलकाता मन्दिरों की नगरी है, कोलकाता देवी का शहर है, दिव्यता का शहर है। यहां पर शो भी है, शोर भी है और शान्ति भी है।
जो भी विचार हमारे अन्दर एकत्र हो जाता हैं उसे देखने, जानने और भीतर उतरने का अवसर हमें प्रदान करता है माँ गंगा का पवित्र तट।
स्वामी जी ने कहा कि जीवन को सुन्दर बनाने का एक ही तरीका है शोर नहीं शान्ति की ओर बढ़े। जीवन अजेय तो बनें, यशस्वी बनंे, जीवन में कलेक्शन भी करें, बड़े – बड़े प्रोजेक्ट भी करें लेकिन प्रभु से कनेक्शन भी बनाये रखें और मैं भी एक प्रोजेक्ट हूँ अर्थात मैं स्वंय पर भी कार्य करता रहँू इसका ध्यान रहे इसलिये माँ गंगा का तट अत्यंत आवश्यक है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत में जन्म लेना ही अपने आप में सौभाग्य है क्योंकि इस धरती पर जन्म लेने के लिये देवता भी तरसते हैं। गंगा जी स्वर्ग छोड़कर जनसमुदाय के दिलोें में बस गयी; हमारी धारणाओं में बस गयी। गंगा जी तो 2525 किलो मीटर का चलता फिरता मन्दिर है। उनसे आप कनेक्शन बना लो या कलेक्शन कर ले ये आप के उपर है।
उन्होंने कहा कि जीवन में बात अकड़ से नहीं पकड़ से बनती है। जीवन का आधार पीआर, प्यार, व्यापार और संस्कार है और ये सब माँ गंगा हमें प्रदान करती हैं। व्यापार चलते है पीआर से, जितना पीआर मजबूत होगा उतना ही व्यापार बड़ा होगा लेकिन परिवार, पीआर से नहीं बनते, परिवार तो बनते हैं प्यार से; संस्कार से और जब संस्कार पूरे घर में हो, पूरे वातावरण में हो तो आने वाली पीढ़ियों के लिये एक सुखद वातावरण का निर्माण हो सकता है। इससे हमारी प्रकृति भी बचेगी, संस्कृति भी बचेगी और संतति भी बचेगी। न्यू कोलकाता गंगा तट संगम है प्रकृति का, संस्कृति का और संतति का। बंगाल की धरती तो कला की धरती है, संस्कृति की धरती है, कल्चर, नेचर और फ्यूचर के संरक्षण की धरती है।
इस अवसर पर स्वामी जी सभी को पर्यावरण संरक्षण हेतु सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने और पौधारोपण का संकल्प कराया।
इस अवसर पर श्री अमरनाथ सराफ जी, श्री अजय कुमार सराफ जी, अर्चना सराफ जी, सौरव वैध जी एवं संध्या वैध जी, यशस्वी सराफ जी, आकृति सराफ जी, सुभाष क्षेत्री जी, दिलीप क्षेत्री जी और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों का विशेष योगदान रहा और हजारों-हजारों की संख्या में जनसमुदाय ने सहभाग किया।