Inauguration of New Educational Facility Shakti Vikas Kendra

Aug 12 2022

Inauguration of New Educational Facility Shakti Vikas Kendra

On this beautiful International Youth Day – the day set aside to raise awareness about cultural and societal issues related to Youth, this year focusing on the theme ‘Inter-Generational Solidarity’, Building a Better World for All Ages to Foster Positive Relationships – the Divine Shakti Foundation, with the inspiration and blessing of HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji and the guidance of Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswatiji, inaugurated its newest educational facility – Shakti Vikas Kendra – designed to develop life and other skills in students from Class 8-12, and to help them discover their passion and fulfill their dreams. All classes will be free because Parmarth Niketan and DSF both believe that no child should be deprived of education due to lack of money, and everyone should be allowed to achieve their goals and realize their aspirations.

Pujya Swamiji shared that Parmarth Niketan has always been committed to “nurturing children with the values ​​and the education to be sure that tomorrow is better than today. Education and culture are the powerful weapons on which positive revolution can be brought to the world. And, while education is important, life without rituals is like a river without water and a bank without money. We must remember our sanskars, which are the moral values ​​of life, on which a strong foundation of future life can be built. In today’s time we need sanskars not cars. India needs active, effective, educated and cultured youth.”

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस

डिवाइन शक्ति फाउंडेशन, परमार्थ निकेतन द्वारा निःशुल्क कोचिंग सेन्टर

संस्कारों के साथ युवाओं को पोषित कर रहा है परमार्थ निकेतन

गांव सजेगा तो देश सजेगा

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

12 अगस्त, ऋषिकेश। युवाओं में शिक्षा के साथ कौशल विकास करने, अपने जुनून को खोजने और अपने सपनों को पूरा करने हेतु डिवाइन शक्ति फाउंडेशन, परमार्थ निकेतन द्वारा ऋषिकेश के युवाओं के लिये ‘शक्ति विकास केन्द्र’ सिंधी धर्मशाला, त्रिवेणी घाट में खोला गया। जिसमें कक्षा 8 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को सभी विषय पढ़ाये जायेंगे। साथ ही अंग्रेजी विषय, कम्प्यूटर की समग्र जानकारी तथा राज्य और केन्द्र स्तर पर होने वाली विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के विषय में भी विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाया जायेगा। बच्चों के व्यक्तित्व और मानसिक विकास हेतु भी उन्हें विशेषज्ञों का सान्निध्य प्राप्त होगा।

शक्ति विकास केन्द्र में सभी कक्षायें निःशुल्क होगी तथा वहां पर बच्चों के लिये पुस्तकालय की भी व्यवस्था है। परमार्थ निकेतन का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा धन के अभाव में शिक्षा से वंचित न हो, सभी को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर प्राप्त हो सके। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर शक्ति विकास केन्द्र में आये बच्चों ने अपने व्यक्तिगत अनुभव प्रेरक कहानियांे के माध्यम से साझा किये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर कहा कि समाज के विकास में आज के युवाओं के योगदान को चिह्नित करने के लिए पूरा विश्व प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाता है। हमें सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए सभी पीढ़ियों की आवश्यकता है। यह भी ध्यान रखना होगा कि हमें किसी भी पीढ़ी को पीछे नहीं छोड़ना है। युवा और वृद्धों के बीच सकारात्मक संबंधों को स्थापित करने कि लिये इस वर्ष की थीम ‘अंतर पीढ़ीगत एकजुटता’ सभी उम्र के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण करना रखी गयी है।

स्वामी जी ने कहा कि हमारी संस्कृति, संस्कार और धार्मिक परंपरायें तात्कालिक जरूरतों और समस्याओं की पूर्ति के लिये अस्तित्व में आयी हैं तथा ये हमारे ऋषियों और पूर्वजों द्वारा प्रामाणिक और परिष्कृत की हुई हैं और हर युग के लिये प्रासंगिक हैं, इसलिये बच्चों को कार दे या न दे संस्कार अवश्य दें। आजकल कार के नये-नये माॅडल आ रहे हैं परन्तु जीवन से संस्कार समाप्त होते जा रहे हैं।

संस्कार हमारी आध्यात्मिक और नैतिक धरोहर है। सौम्यता और संस्कारों के बल पर हम दुनिया को बदल सकते हैं। शिक्षा और संस्कार वह शक्तिशाली शस्त्र है जिसके बल पर समाज में सकारात्मक क्रान्ति लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन का हमेशा ही प्रयास रहा है कि बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कारों से भी पोषित करे ताकि बेहतर कल का निर्माण किया जा सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि बिना संस्कारों के जीवन, वैसा ही है जैसे बिना जल के नदी और बिना पैसों के बैंक। संस्कार तो जीवन के नैतिक मूल्य हैं, जिस पर भावी जीवन की सुदृढ़ नींव खड़ी की जा सकती हैं। वर्तमान समय में हमें कारों की नहीं संस्कारों की जरूरत है। भारत को एक्टिव, इफेक्टिव, एजूकेटेड एवं कल्चर्ड युवाओं की जरूरत है।

आईए हम अपनी जड़ों की ओर लौटे, अपने समुदायों से गहराई से जुड़ें, हमारे इतिहास और हमारी विरासत को समझे। युवाओं में बदलाव के बीजों का रोपण कर भविष्य में उड़ान भरने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ युवाओं को भी सशक्त बनाये।

परमार्थ निकेतन की वरिष्ठ कार्यकर्ता सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी ने कहा कि देश को उन्नति के शिखर पर ले जाना है तो बच्चों को शिक्षित करना जरूरी है। हम सभी का परम कर्तव्य है कि युवाओं को उन्नति की ओर बढ़ाने हेतु उन्हें मार्गदर्शन, प्रेरणा और साहस प्रदान करें।

शक्ति विकास केन्द्र के समन्वयक श्री कुष्ण कुमार ने कहा कि परमार्थ निकेतन का उद्देश्य है कि आने वाले समय में कोई भी घर ऐसा न हो जहां कोई अनैतिक गतिविधि; अपराधिक गतिविधि या किसी भी प्रकार के संकट का कारण आर्थिक तंगी हो। हम मिलकर इस योजना पर काम करेंगे कि हर घर में कम से कम एक कमाने वाले सदस्य जरूर हो। मजबूत व्यक्ति से ही मजबूत समाज और मजबूत राष्ट्र का निर्माण सम्भव है इसलिये आईये इस मुहिम से जुड़े। शिक्षा एक मौलिक अधिकार है इसलिये शिक्षा की दिशा में आने वाली कठिनाईयों को दूर कर हम मुख्य धारा से अलग-थलग होकर जीवन यापन कर रहे परिवारों में भी शिक्षा का अलख जगाये।

इस अवसर पर सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, स्वामी सेवानन्द, रूचि राय, कुष्ण कुमार, दिलीप क्षेत्री, देवजी, संदीप ऋषि, रामचन्द्र शाह, ज्योति, विजया माता जी और ऋषिकुमार उपस्थित थे।

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