International Yogini Award Ceremony and Conference

Feb 12 2023

International Yogini Award Ceremony and Conference

ऋषिकेश, 12 फरवरी। परमार्थ निकेतन में इन्टरनेशनल योगिनी अवार्ड सेरेमनी और काॅन्फ्रेन्स का शुभारम्भ हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री प्रतापचन्द्र सारंगी जी, मेंबर आफ पार्लियामेंट उड़ीसा, महामंडलेश्वर श्री नृसिंगदास जी, लोक कला संस्कृति संरक्षण से श्री निर्मल रतनलाल वैद्य जी, संस्थापक ईडुजी डा आर एच लता जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।

दो दिवसीय इन्टरनेशनल योगिनी अवार्ड और काॅन्फ्रेन्स के प्रथम दिन विश्व के अनेक देशों और भारत के विभिन्न राज्यों से आयी योगिनी और चिकित्सकों द्वारा योग के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने हेतु उन्हें योगिनी अवार्ड से सम्मानित किया गया तथा दूसरे दिन योग के व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक महत्व पर विस्तृत चर्चा हुई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि योग भारत की अमूल्य धरोहर है और यह जीवन की सर्वोच्च साधना पद्धति भी है। योग के माध्यम से शरीर और मन को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाये रखने के साथ ही आत्मदर्शन, आत्मसाक्षात्कार और कैवल्य को प्राप्त किया जा सकता है। योग केवल अभ्यास नहीं बल्कि साधना है जिससे शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।

आज भारत सहित विश्व की योगिनियों को योग के प्रति उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित करना अपने आप में गर्व का विषय है। योग भारत की एक शक्ति है और जब नारी शक्ति योगरूपी शक्ति से जुड़ जायेगी तो वास्तव में योग संस्कृति की महानता से पूरे विश्व को परिचित कराया जा सकता है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि योग के क्षेत्र में भारत को विश्व गुरू बनाने के लिए योग के आचार्यो और योगिनियों का महत्वपूर्ण योगदान है। योग एक विज्ञान है और यह स्वस्थ जीवन जीने का माध्यम भी है जो सकारात्मक व्यक्तित्व प्राप्त करने हेतु आवश्यक है इसलिये योग की महत्ता से जनसमुदाय और पूरे विश्व को परिचित कराना आवश्यक है।

लोक कला संस्कृति संरक्षण के श्री निर्मल रतनलाल वैद्य जी ने कहा कि महिलाओं और बालिकाओं के उत्थान, आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण के लिये उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और प्रसन्नचित रहना अत्यंत आवश्यक है। योग से आंतरिक शान्ति और आनन्द की प्राप्ति होती हैं।

संस्थापक ईडुजी डा आर एच लता जी ने कहा कि वर्तमान समय में नारियां प्रत्येक क्षेत्र में अद्भुत भूमिकायें निभा रही हैं तथा पर्यावरण, योग और स्वास्थ्य के प्रति पहले से अधिक जागरूक हो गयी हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जीवन में अनेक अवस्थाओं से गुजरने के साथ ही रजोदर्शन और रजोनिवृति से भी गुजरना पड़ता है इसलिये योग उनके लिये अत्यंत आवश्यक है, जो कि शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही मन व मस्तिष्क को भी संतुलित करता है।

आज इन्टरनेशनल अवाॅर्ड समारोह में फ्रांस की योगिनी डेनियल चोपड़ा, न्यूजीलैंड से पदमावती महाराणा, फ्रांस से आॅराक्लिएल सी एल, थाइलैंड से अल्का गुप्ता, अमेरिका से डा रूपा ध्रुव, सबरी अवार्ड से इन्डोनेशिया से सविता पान्डे, मध्यप्रदेश से प्रीति पोरवाल, डा कायनात काज़ी, दिल्ली से वान्या शर्मा, शीतल आर्या, डा ललिता गौरव, डाॅ नेहा रक्का, निधि तिवारी, मोलिका गांगुली, प्रीति नन्दी, डा उर्मिला, डा निशा जोशी, रेखा खन्ना, सौम्या अय्यर, राजश्री प्रसाद, हेतस्वी के सोमानी, प्रगति गुप्ता, दीप्ती सोमानी, नृत्या जगन्नाथ, आस्था राजोरिया, अनीता नरूका, गौरी ए कौस्तुभन, कृति मलिक, आशा रविकिरण, श्रेया कात्याल, गीतारानी, हेमामालिनी प्रसाद, प्रिया रामास्वामी, अनुभा मिश्रा, नागऋषि कमलेश, नर्मदा धाकड़, पल्लवी शर्मा, जूही चावला, प्रेरणा पान्डे, एकता अग्रवाल, शोभना खान, रजनी पाल, रेखा पंथी, अर्चना, जोधवानी, निशा शर्मा, स्वेता नेमा, शिखा गौर, व्रतिका जोशी, भाविशा सोलंकी, ऋचा राठौड़, ज्योति अग्रवाल, अनुजा सिंह, साधना सिंह, शशि बाला शर्मा, नन्दिनी त्रिपाठी को योगिनी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

Share Post